मेहनत, नई सोच और बदलाव की मिसाल
नाम: रामनिवास शर्मा
गांव: भिवानी, हरियाणा
पेशा: परंपरागत किसान → जैविक कृषि उद्यमी
जहां एक ओर कई किसान खेती को घाटे का सौदा मानते हैं, वहीं रामनिवास शर्मा ने इसे अपनी मेहनत और नई सोच से एक सफल व्यवसाय में बदल दिया। यह कहानी है एक आम किसान के असाधारण संघर्ष और सफलता की।
शुरुआत – संघर्षों भरा सफर
रामनिवास एक मध्यम वर्गीय किसान हैं, जिनके पास सिर्फ 3 एकड़ जमीन थी। पहले वे परंपरागत तरीके से गेहूं और सरसों की खेती करते थे, लेकिन बढ़ती लागत और गिरते दामों ने उन्हें कर्ज़ में डुबो दिया।
उन्होंने ठान लिया — कुछ नया करना होगा।
बदलाव की शुरुआत – जैविक खेती की ओर
2017 में उन्होंने एक कृषि प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया, जहाँ उन्हें जैविक खेती, वर्मी कम्पोस्ट और ड्रिप सिंचाई के बारे में जानकारी मिली।
रामनिवास ने पहले तो 1 एकड़ में सब्ज़ियों की जैविक खेती शुरू की:
- बिना रासायनिक खाद के
- अपने ही बनाए वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग
- कम पानी में फसल उगाने के लिए ड्रिप सिस्टम
मेहनत रंग लाई – बढ़ी आमदनी
2 साल के भीतर उन्होंने जैविक पालक, मेथी, टमाटर, और गोभी की खेती से बाजार में सीधा संपर्क बनाकर अच्छी आमदनी शुरू की।
👉 आज उनकी मासिक कमाई ₹50,000 से ₹70,000 तक हो जाती है, और वे आस-पास के 40+ किसानों को ट्रेनिंग भी देते हैं।
सम्मान और पहचान
- “उद्यान रत्न पुरस्कार” राज्य सरकार द्वारा
- कृषि विश्वविद्यालयों में बतौर गेस्ट स्पीकर आमंत्रित
- उनके फार्म को डेमो फार्म घोषित किया गया है
प्रेरणा का स्रोत
रामनिवास जी की कहानी हमें यह सिखाती है कि:
“अगर सोच बदलो, तो हालात भी बदलते हैं।”
नया सीखना, जोखिम लेना और मेहनत करना – यही सफलता की असली कुंजी है।
किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, देश की रीढ़ हैं। अगर उन्हें सही मार्गदर्शन, तकनीक और समर्थन मिले, तो वे हर चुनौती को अवसर में बदल सकते हैं।
क्या आप भी किसी किसान की प्रेरणादायक कहानी जानते हैं? या अपनी साझा करना चाहते हैं? मुझे बताइए – मैं उसे भी एक ब्लॉग पोस्ट में बदल दूँगा। 🌿✍️