धान की उन्नत किस्में: अधिक उत्पादन और बेहतर मुनाफा

भारत एक कृषि प्रधान देश है और धान (चावल) इसकी प्रमुख फसलों में से एक है। किसानों की आय बढ़ाने और फसल उत्पादन में सुधार लाने के लिए धान की उन्नत किस्मों (Improved Varieties) का चयन करना बेहद आवश्यक हो गया है। इन किस्मों को वैज्ञानिक तरीकों से विकसित किया गया है, जो अधिक उपज देने के साथ-साथ बीमारियों और कीटों के प्रति भी प्रतिरोधी होती हैं।

धान की प्रमुख उन्नत किस्में

  1. Pusa Basmati 1121 (पूसा बासमती 1121)
    • बासमती चावल की सबसे प्रसिद्ध किस्म।
    • लंबा दाना और सुगंध।
    • निर्यात के लिए आदर्श।
    • पकने का समय: 140-145 दिन।
  2. Swarna (MTU 7029)
    • अधिक उपज वाली किस्म।
    • कम पानी की आवश्यकता।
    • कीट-रोग प्रतिरोधक।
    • उत्पादन क्षमता: 50-60 क्विंटल/हेक्टेयर।
  3. IR 64
    • जल्दी पकने वाली किस्म (115-120 दिन)।
    • मध्यम दाने वाली और स्वादिष्ट।
    • सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त।
  4. DRR Dhan 45
    • झुलसा रोग (BLB) के प्रति प्रतिरोधक।
    • बेहतर गुणवत्ता और अधिक उत्पादन।
    • उत्पादन क्षमता: 60-65 क्विंटल/हेक्टेयर।
  5. Sharbati
    • उत्तरी भारत में लोकप्रिय।
    • स्वादिष्ट और सुगंधित चावल।
    • उपयुक्त जलवायु: गंगा के मैदानी क्षेत्र।
  6. BPT 5204 (Samba Mahsuri)
    • गुणवत्ता में बेहतरीन।
    • पकने में मध्यम समय लेती है।
    • दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित।

धान की उन्नत किस्मों को चुनने के फायदे

1. अधिक उत्पादन (Higher Yield)

सही किस्म के चयन से एक ही खेत में पारंपरिक किस्मों की तुलना में 20-30% अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है। जैसे- स्वर्णा, IR-64, और पूसा बासमती 1121 जैसी उन्नत किस्में ज्यादा उत्पादन देती हैं।

2. कीट और रोगों से सुरक्षा (Resistance to Pests & Diseases)

कुछ उन्नत किस्मों में जैविक प्रतिरोधक क्षमता होती है जो ब्लास्ट, झुलसा, बेक्टीरियल लीफ ब्लाइट जैसी बीमारियों से फसल को सुरक्षित रखती हैं। इससे दवाओं पर खर्च कम होता है।

3. कम समय में फसल तैयार (Short Duration)

कई किस्में जैसे IR-64 और DRR Dhan 45, 110-120 दिनों में तैयार हो जाती हैं। इससे किसान एक साल में दो या तीन फसलें ले सकते हैं, जिससे आमदनी बढ़ती है।

4. जलवायु के अनुसार अनुकूलता (Adaptability to Climate)

कई किस्में विशेष रूप से सूखा-प्रतिरोधक या बाढ़-सहनीय होती हैं। इससे बदलते मौसम के प्रभाव को कम किया जा सकता है और फसल का नुकसान घटता है।

5. बेहतर बाजार मूल्य (Better Market Value)

बासमती या सुगंधित किस्मों की बाजार में अच्छी मांग होती है। निर्यात के लिए भी इन किस्मों को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे किसान को अधिक लाभ मिलता है।

6. कम लागत में खेती (Low Input Cost)

रोग-प्रतिरोधी और कम समय में पकने वाली किस्मों को उगाने में खाद, कीटनाशक और पानी की जरूरत कम पड़ती है। इससे उत्पादन लागत घटती है।

किस्म का चुनाव कैसे करें?

  • अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार।
  • सिंचाई की उपलब्धता और फसल की अवधि के अनुसार।
  • रोगों और कीटों की स्थिति को देखते हुए।
  • स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या विशेषज्ञ से परामर्श लें।

धान की उन्नत किस्में खेती को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। किसान भाई अगर इन किस्मों का सही तरीके से उपयोग करें, तो वे कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आमदनी में सुधार कर सकते हैं।

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