पशुपालन क्या है?

पशुपालन भारत की कृषि व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पालतू जानवरों की देखभाल, पालन-पोषण, प्रजनन और उपयोग किया जाता है ताकि दूध, मांस, अंडे, ऊन, और खाद जैसी चीज़ें प्राप्त की जा सकें।

पशुपालन का अर्थ

पशुपालन का शाब्दिक अर्थ है – “पशुओं का पालन-पोषण”। इसमें गाय, भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गी, घोड़ा, ऊंट आदि जानवरों को पाला जाता है। यह प्रक्रिया ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करती है और किसानों के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत होती है।

पशुपालन के प्रकार

  1. डेयरी फार्मिंग (दुग्ध उत्पादन): गाय और भैंसों से दूध प्राप्त करना और उसे बेचना।
  2. पोल्ट्री फार्मिंग: मुर्गी और अन्य पक्षियों का पालन अंडे और मांस के लिए।
  3. मांस उत्पादन: बकरी, भेड़ आदि का पालन मांस के लिए।
  4. ऊन उत्पादन: भेड़ों से ऊन प्राप्त करना।
  5. मधुमक्खी पालन और रेशम उत्पादन: यह भी व्यापक अर्थ में पशुपालन में शामिल होते हैं।

पशुपालन के लाभ

  • किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिलता है।
  • खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ दूध, मांस, अंडे जैसी आवश्यक वस्तुएँ मिलती हैं।
  • कृषि में उपयोग होने वाली जैविक खाद (गोबर आदि) उपलब्ध होती है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं।

पशुपालन के लिए सरकारी योजनाएँ और सहयोग

भारत सरकार पशुपालन को बढ़ावा देने और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएँ चला रही है। इन योजनाओं का उद्देश्य वित्तीय सहायता प्रदान करना, पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार करना और पशुपालन उत्पादों के विपणन को बढ़ावा देना है।

प्रमुख सरकारी योजनाएँ

  1. पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना
    • पशुपालकों को पशुओं की खरीद, चारा, पशु आवास और चिकित्सा सेवाओं के लिए ऋण प्रदान किया जाता है।
    • ऋण की राशि पशुपालक की आय के आधार पर तय होती है और ब्याज दर कम होती है।
    • ऋण का भुगतान 5 साल की अवधि में किया जा सकता है।
  2. राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM)
    • पशुपालकों को पशुओं के टीकाकरण, कृमिनाशक दवाओं, पशु आवास और चारा के लिए सहायता दी जाती है।
    • इस योजना का उद्देश्य पशुपालन उत्पादों के उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देना है।
  3. राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD)
    • डेयरी किसानों को दूध उत्पादन और विपणन के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।
    • इस योजना के तहत दूध संग्रहण और प्रसंस्करण सुविधाओं के विकास में मदद मिलती है।

सरकारी सहयोग और लाभ

  • वित्तीय सहायता – पशुपालकों को कम ब्याज दर पर ऋण मिलता है।
  • स्वास्थ्य सेवाएँ – पशुओं के टीकाकरण और चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
  • प्रशिक्षण और जागरूकता – पशुपालकों को आधुनिक तकनीकों और व्यवसायिक कौशल की जानकारी दी जाती है।
  • विपणन और व्यापार – सरकार पशुपालन उत्पादों के विपणन और निर्यात को बढ़ावा देती है।


पशुपालन न केवल आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद है, बल्कि यह ग्रामीण जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा भी है। यदि इसे वैज्ञानिक तरीके से किया जाए, तो यह किसानों की आमदनी को कई गुना बढ़ा सकता है।

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